ना रुका हूँ कभी
तूफानों से ना डरा हूँ कभी,
चट्टानों से ना रुका हूँ कभी,
निराशा निशा के अंधियारे से,
ज़िन्दगी के गम के गलियारे से,
निकलते समय न झुका हूँ कभी,
ना रुका हूँ कभी,ना झुका हूँ कभी।
चट्टानों से ना रुका हूँ कभी,
निराशा निशा के अंधियारे से,
ज़िन्दगी के गम के गलियारे से,
निकलते समय न झुका हूँ कभी,
ना रुका हूँ कभी,ना झुका हूँ कभी।
~शिखर पाण्डेय
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